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गुस्से को ऐसे पिए This Post Design By The Revolution Deshbhakt Hindustani

गुस्से को ऐसे पिए

क्या आप भी, अपने गुस्से से परेशान हैं? क्रोध पर नियंत्रण को लेकर, मैंने बचपन में एक कहानी सुनी थी। कि कैसे, अपने गुस्से पर काबू पा कर, एक गुस्सैल आदमी, महात्मा बुद्ध का शिष्य बन जाता है। एक दिन श्रावस्ती में, महात्मा बुद्ध की सभा चल रही थी। सब लोग, बुद्ध के प्रवचन सुन रहे थे। बुद्ध ने कहा- जो इन्सान, गुस्सा करता है, वो जहर खुद पीता है, लेकिन मरने की उम्मीद, किसी और से करता है। उनमें एक ऐसा आदमी बैठा था, जिसे बुद्ध की बातें सुनकर गुस्सा आ रहा था। वो आदमी, अचानक उठा, और महात्मा बुद्ध को, बुरा-भला कहने लगा। यह देखकर, पूरी सभा भड़क उठी। लेकिन बुद्ध ने, सभी को शांत किया। और, उस व्यक्ति को विनम्रता से पूछा- तुम्हें कुछ और कहना है। यह सुनकर, वो आदमी वहां से चला गया।

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महात्मा बुद्ध ने दोबारा, पहले की तरह, वचन देना शुरू कर दिया, जैसे कुछ, हुआ ही नहीं। अगली सुबह, जब बुद्ध अपने शिष्यों को, प्रवचन दे रहे थे, तो वही व्यक्ति, महात्मा बुद्ध को ढूंढता हुआ, वहां आ पहुंचा। वो बुद्ध के चरणों में गिर पड़ा और बोला- हे महात्मा, मैं वही दुष्ट हूँ, जिसने कल आपका अपमान किया था, मुझे माफ कर दो। बुद्ध ने उसके हाथ पकड़कर, उसे उठाया, और बोले– मैं तुम्हारी बातों को कल ही भूल गया था। मैं, भला तुम्हारी बातों को मन में उतार कर, अपना नुकसान क्यों करूँ।

यह कहानी हमें सिखाती है कि बीती बातों को लेकर बैठने से, हमारा जीवन और भविष्य, दोनों की गति रुक जाती है। हमारे अंदर हमें, क्या रखना है- खुशी या क्रोध, यह हमें तय करना है। गुस्से का एक और पहलू है। हमारे समाज में एक कहावत है कि 4 थप्पड़ लगाओ, सामने वाला, खुद सुधर जाएगा, लेकिन हम सब जानते हैं कि ऐसा हरगिज नहीं है।